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भावना योग क्या है _
तन को स्वस्थ ,मन को मस्त और आत्मा को पवित्र बनाने का अभिनव प्रयोग है—भावना योग।”यद् भाव्यते तद् भवति’’ (हम जैसी भावना भाते हैं वैसा होता है) की प्राचीन उक्ति पर आधारित इस योग को वर्तमान मे लॉ आँफ अट्रेक्शन के रूप में जाना जाता है।आधुनिक मनोविज्ञान के अनुसार हम जैसा सोचते हैं वैसे संस्कार हमारे अवचेतन मन पर पड़ जाते हैं वे ही प्रकट होकर हमारे भावी जीवन को नियंत्रित और निर्धारित करते हैं।कहा जाता है thoughts becomes thingsअर्थात् विचार साकार होते हैं।भावना योग का यही आधार है।इसके माध्यम से हम अपनी आत्मा मे छिपी असीमित शक्तियों को प्रकट कर सकते हैं।
सोहं इत्यात्त संस्कारात् तस्मिन् भावनया पुन:।
तत्रैव दृढ़ संस्कारात् लभते हि आत्मनि स्थितिम्।।
अर्थात् मै शुद्ध आत्मा हूँ इसकी बार -बार भावना भाने से अपनी शुद्ध आत्मा को प्राप्त किया जा सकता है। आधुनिक मनोविज्ञान के व्याख्याता इसी आधार पर लॉ ऑफ़ अट्रेक्शन के सिद्धान्त को प्रचारित कर रहें हैं। आधुनिक प्रयोगों के आधार पर यह बात सुस्पष्ट हो चुकी है कि भावनाओं के कारण हमारी अन्त: स्रावी ग्रन्थियों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है ।इसके आधार पर अनेक गंभीर बीमारियों की चिकित्सा भी की जारही है।यदि हम नियमित भावना योग करे तो इसका लाभ उठाया जा सकता है। इसे न्युरो साइकोइम्युनोलॉजी के रूप में भी जाना जाता है। इसी सिद्धान्त पर विचार करते हुए मैंने भावना योग को तैयार किया है ।यह वही प्राचीन वैज्ञानिक साधना है जिसे हज़ारों वर्षों से अपनाकर जैन मुनि अपना कल्याण करते रहें है।मैंने उसकीही आधुनिक व्याख्या करके इसे जनोपयोगी बनाने का प्रयास किया है।
मुनि प्रमाणसागर जी-एक विख्यात जैन संत हैं। वैसे तो मुनि श्री को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है क्यूंकि इनके विश्व स्तर पर सभी संप्रदायों में बहुत बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। इनके विचारोत्तेजक प्रवचन और व्यापक रूप से लोकप्रिय लाइव शंका समाधान ने 2014 से 60,000+ से अधिक प्रश्नों को हल किया है। जिससे लोगों ने जैन धर्म के मर्म को समझा है। इतना ही नहीं महाराज श्री ने अपनी सकारात्मक सोच और समाज के प्रति विभिन्न कार्यों से न जाने कितने ही लोगों की प्रेरित किया है।
शास्त्रों में विदित है कि जैन संत हजारों सालों से आत्मकल्याण और आत्मउत्थान के लिए इस पद्धति का अभ्यास कर रहे हैं। ऐसी ही महाराज श्री की एक अनूठी सोच भावना योग के रूप में उभर कर सामने आई है। भावना योग अपने तन को स्वस्थ, मन को मस्त और चेतना को प्रशस्त रखने का अभूतपूर्व प्रयास है।
महाराज श्री ने यद् भाव्यते तद् भवति(विचार साकार होते हैं) के प्राचीन भारतीय सिद्धांत को आधुनिक रूप में फिर से परिभाषित करके भावना योग की अवधारणा की, ताकि यह समाज के हर वर्ग – छोटे बच्चों, माताओं, बूढ़े, युवा, त्यागी-व्रत और राष्ट्र के लिए विशाल रूप में उपयोगी हो। हाल ही में 2021 में उन्होंने विश्व धर्म संसद को संबोधित किया और भावना योग को दुनिया के सामने पेश किया, जिसे व्यापक रूप से सराहा गया।
भावना योग से लोगों ने अपने स्वास्थ्य, सोच, दिनचर्या आदि में लाभ की अनुभूति की है। इतना ही नहीं लोगों ने अपनी संकल्प शक्ति एवं आत्म विश्वास में वृद्धि का अनुभव किया है। अपनी क्रोध, अहंकार, छल, लालच, ईर्ष्या जैसी भावनाओं पर लगाम लगा पाने में खुद को समर्थ महसूस किया है। कई लोग तो अपनी सोच को नियंत्रित कर डिप्रेशन, चिंता, डर, अवसाद, एंग्जायटी से मुक्ति भी पाने में सफल हुए हैं। बहुत लोगों को स्वास्थ्य सम्बन्धी तकलीफें जैसे कैंसर, अस्थमा, थायराइड, बीपी, हृदय रोग, नींद संबंधी विकार, टिनिटस और आत्महत्या की प्रवृत्ति से छुटकारा पाने में भी लाभ मिला है।


भावना योग का लाभ भारत में तो लोग ले ही रहे हैं, बल्कि 15 अन्य देश जैसे अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात(UAE), दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, यूरोप, स्वीडन में भी 11000 लोगों के द्वारा अभ्यास किया गया है। एक सर्वे द्वारा पता चला है कि विभिन्न मीडिया जैसे शिविर, टीवी, यूट्यूब, पॉडकास्ट के माध्यम से 10 लाख लोग इसका अनुसरण करते हैं और इसका सालाना अभ्यास करते हैं।
साल 2021 में भावना योग को वैश्विक मंच में विश्व धर्म और जैन संसद में जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली जिसके बाद 300 से अधिक स्वयंसेवकों का सक्रिय नेटवर्क बना और वे सब शिविरों, जेलों में शिविर, गैर सरकारी संगठन, उपशामक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र, स्कूल, विश्वविद्यालय, अस्पताल, सम्मेलन, कार्यशालाएं, मंदिर, कॉर्पोरेट, योग दिवस कार्यक्रम आयोजित करने में मदद करते हैं। भावना योग और महाराज श्री द्वारा रचित मंगल भावना जलगांव के एनएम विश्वविद्यालय में एमए और पीएचडी यौगिक विज्ञान पाठ्यक्रम का भी हिस्सा बन गए हैं। भावना योग को भव्य स्तर पर अत्यधिक लोकप्रियता मिल रही है, इसे खूब सराहा भी जा रहा है क्योंकि लोगों को इससे लाभ की अनुभूति हो रही है। भावना योग हमारी आत्मा की छिपी हुई ऊर्जा को बाहर निकालता है जिससे इंसान आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हो जाता है। हम कह सकते हैं कि भावना योग लोगों के तन को स्वस्थ, मन को मस्त और चेतना को प्रशस्त करने की एक मुहीम है जिसका हमें हिस्सा बन जन-जन तक फैलाना है और महाराज श्री प्रमाण सागर जी के चरणों में नमन अर्पित करते हुए भावना योग द्वारा सबको स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है।
About us
मुनि श्री प्रमांसागर जी महाराज
यथा नाम तथा गुणः बहुमुखी प्रतिभा के धनी मुनिश्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज का समाज के लिए अद्वित्य योगदान रहा है।
मानव एवं ग्रामीण विकास के लिए सेवायतन, गौ संरक्षण के लिए दयोदय महासंघ, युवा पीढ़ी को धर्म और धर्मनिष्ठ गतिविधियों से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय दिगंबर जैन युवा महासंघ और प्रामाणिक समूह, जीवन व्यव्हार से जुडी जटिलतम शंकाओं का सटीक समाधान बहुचर्चित और विश्व विख्यात (सौ से अधिक देशों में सुना और देखा जाता है ) शंका समाधान कार्यक्रम, आत्मा में छिपी अनंत शक्तियों को उद्घाटित कर वह तन को स्वस्थ मन को मस्त और आत्मा को पवित्र बनाने वला प्राचीन वैज्ञानिक साधना पद्धति पर आधारित भावना योग, 9D और २७० डिग्री के स्क्रीन पर शब्द संगीत और प्रकाश के द्वारा आधुनिक तकनीक से आत्मिक गुणों का दिग्दर्शन करने वाला गुणायतन, 30+ पुस्तकों का उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान , संलेखना के लिए धर्म बचाओ आंदोलन.

Yog Benefits
श्रद्धापूर्वक एवं नियमित प्रयोग से पहले सप्ताह से इसके लाभ प्राप्त होने लगते हैं।
- स्वास्थ्य, सोच, दिनचर्या आदि में लाभ की अनुभूति की है।
- संकल्प शक्ति एवं आत्म विश्वास में वृद्धि का अनुभव किया है।
- अपनी क्रोध, अहंकार, छल, लालच, ईर्ष्या जैसी भावनाओं पर लगाम लगा पाने में खुद को समर्थ महसूस किया है।
- अपनी सोच को नियंत्रित कर डिप्रेशन, चिंता, डर, अवसाद, एंग्जायटी से मुक्ति भी पाने में सफल हुए हैं।
- स्वास्थ्य सम्बन्धी तकलीफें जैसे कैंसर, अस्थमा, थायराइड, बीपी, हृदय रोग, नींद संबंधी विकार, टिनिटस और आत्महत्या की प्रवृत्ति से छुटकारा पाने में भी लाभ मिला है।
- हाल ही में इसके तीन माह तक नियमित प्रयोग से Cancer से पीड़ित महिला के जीवन में चमत्कारी सुधार आया - उनकी पीड़ा/ Pain कम हो गई और उन्होंने pain killers / दवाईआं लेना बंद कर दिया। इस self healing से उनके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य में इतना सुधार आया की उन्होंने शेष जीवन में इसका नियमित प्रयोग कर अपनी मृत्यु सुधरने (Art of Dying) का संकल्प लिया।
तो यदि भावना योग को प्रति दिन 30 minutes दोहराएंगे तो यह आपके बचे साढ़े 23 घंटे में आपको अलग ऊर्जा का अनुभव होगा जो आपको शांत व सकारात्मक बना आपके लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।
प्रकार:
वर्तमान की व्यक्तिगत आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए भावना योग विभिन्न रूप में उपलब्ध है।
तकनीक : -
- ऊर्जा प्रवाह - ब्रह्मांड की ऊर्जा द्वारा दर्द में राहत
लक्षित समूह: -
- युवा – युवाओं के लिए विशेष निर्मित ऑटो-सुझाव
- गर्भवती माताऐं – गर्भवती माताओं के लिए लाभकारी ऑटो-सुझाव
- त्यागी–व्रती- अल्प–परिग्रही जीवन जीने वाले त्यागी–व्रतियों के लिए ऑटो–सुझाव
विशेषता
समय और अवधि –
सुबह - प्रातः उठते ही सिर्फ़ 5 मिनट में दिन को ऊर्जावान बनाएं
रात - सोने से पहले मात्र 5 मिनट में निद्राकाल को शांतिपूर्ण बनाएं
Team
Our Volunteers
प्रकार:
वर्तमान की व्यक्तिगत आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए भावना योग विभिन्न रूप में उपलब्ध है।
तकनीक : -
- ऊर्जा प्रवाह - ब्रह्मांड की ऊर्जा द्वारा दर्द में राहत
लक्षित समूह: -
- युवा – युवाओं के लिए विशेष निर्मित ऑटो-सुझाव
- गर्भवती माताऐं – गर्भवती माताओं के लिए लाभकारी ऑटो-सुझाव
- त्यागी–व्रती- अल्प–परिग्रही जीवन जीने वाले त्यागी–व्रतियों के लिए ऑटो–सुझाव
विशेषता
समय और अवधि –
सुबह - प्रातः उठते ही सिर्फ़ 5 मिनट में दिन को ऊर्जावान बनाएं
रात - सोने से पहले मात्र 5 मिनट में निद्राकाल को शांतिपूर्ण बनाएं