पंच परमेष्ठि ध्यान
आज हम पांच परमेष्ठी का ध्यान करने जा रहे हैं। अपने पूरे शरीर को ढीला कर दीजिए। समर्पण के भाव से भर जाएं। पांच परमेष्ठी के पांच रंगों का स्मरण करें। अरिहंत परमेष्ठी का सफेद जो सात्विकता और शक्ति के प्रतीक होता है। सिद्ध परमेष्ठी का लाल, उर्जा स्फूर्ति का प्रतीक। आचार्य परमेष्ठी का पीला क्रोध शमन में सहायक होता है। उपाध्याय परमेष्ठी का नीला क्रोध शमन करता है और स्मरण शक्ति बढ़ाता है। साधु परमेष्ठी का काला जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
पूर्व दिशा की ओर मुख कर ले। अपने शरीर का हर अंग ढीला करे। सबसे पहले अपने शरीर के चारों ओर पंच परमेष्ठी के ध्यान के साथ क्रमश: सफेद, लाल, पीला, नीला और काले रंग का चक्र बनता हुआ देखें। ये कवच आपको सुरक्षित करेगा। शांत हो जाएं। धीरे धीरे णमोकार मंत्र का जाप अपने मन में करे। अरिहंत परमेष्ठी के स्मरण के साथ भाव करे कि एक सफेद रंग का बहुत बड़ा गोला ब्रह्मांड से अरिहंत परमेष्ठी के सम्पूर्ण शक्ति को लेकर तुम्हारी तरफ बढ़ रहा है। देखें उस गोले को। देखें धीरे-धीरे वो गोला छोटा होता जा रहा है और महसूस करे कि वो गोला आपके आज्ञा चक्र पर स्थापित हो गया है। ठीक इसी प्रकार सिद्ध परमेष्टि का स्मरण करें और देखे एक लाल रंग का विशाल गोला, सिद्धों की वर्गणाओं को लेकर तुम्हारे भ्रमरंद पर स्थापित्त हो गया हो। आचार्य परमेष्ठी का ध्यान करें और देखें पीले रंग का विशाल गोला धीरे- धीरे छोटा होते हुआ कंठ पर विराज गया हो।
उपाध्याय परमेष्ठी का स्मरण करें। देखें नीले रंग का एक विशाल आकार लिए एक गोला धीमे धीमे आपके हृदय की ओर बढ़ रहा है। इस गोले को हृदय में बैठा देखे और महसूस करे कि आपके क्रोध का शमन हो रहा है। आपकी स्मरण शक्ति बढ़ रही है। इस लोक में विराजित सभी साधुओं को प्रणाम करे और भाव करें कि एक बहुत बड़ा काले रंग का गोला साधु परमेष्ठी की शक्तियों को लिए नाभि में प्रवेश कर रहा है और आपकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा रहा है।
पंच परमेष्ठी का ध्यान करें और देखें हर परमेष्ठी का एक रंग का गोला अपनी शक्तियों को लिए तुम्हारे शरीर का पांच अंगो में प्रवेश कर शरीर के रोगों को दूर कर रहा है। अत्यंत सहज भाव से भर जाएं। अत्यंत सुख की अनुभूति महसूस करें। धीरे धीरे सामान्य हो जाएं।
Frequently asked questions
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भावना योग की बात है, वह ध्यान नहीं है। वह एक अलग साधना, एक अभ्यास, एक ऐसा योग जिसके बल पर हम अपनी आत्मा का निर्मलीकरण कर सके, अपनी चेतना की विशुद्धि बढ़ा सकें। वर्तमान में एक सिद्धांत विकसित हुआ ‘ला ऑफ अट्रैक्शन’ हमारे विचार साकार होते हैं, हम जैसा सोचते हैं जैसा बोलते हैं जैसी क्रिया करते हैं संस्कार हमारे सबकॉन्शियस में पड़ जाते हैं ।
भावना योग कोई भी कर सकता है यह किसी धर्म से नहीं जुड़ा अपितु कोई भी इसे अपने जीवन मैं उतर कर अपना जीवन सुखी और समृद्ध बना सकता है
भावना योग करने मैं कोई फिक्स समय नहीं है आप जितने समय करना चाहते हैं कर सकते हैं, अगर आप व्यस्त हैं तो अपने डेली जीवन मैं ५ मिनट्स मैं भी इसे कर सकते हैं |